मुक्कमल दास्तां आर्यन की
आर्यन चैप्टर 37
मुक्कमल दास्तां आर्यन की
अब तक आपने पढ़ा आर्यन रणविजय पर गन पॉनिट कर देता है और मरने लगता है तभी वहां नील और करन आ जाते हैं नील को देख रणविजय को लगता है उसके लिए आया है तब करन बताता है की वो आर्यन के लिए आया है आर्यन उसे फिरसे मारने लगता है..
अब आगे
आर्यन कुछ घुसे मारने के बाद रणविजय का चेहरा देखता है,जो अब तक एक तरफ से सूझ गया था, वो उसे अच्छे से देखता है फिर कहता है "ये था असल , सुद के लिए ले चलो इसे हवेली"
इतना कहकर वो जीनी को लेकर आगे बढ़ जाता है, लेकिन जीनी का शरीर ठंडा पड़ने लगा था, वो बिना कुछ बोले उसके पीछे चल रही थी, लेकिन अचानक वो बेहोश हो जाति है,
आर्यन को जब महसूस होता है, तो वो देखता है जीनी की आंखे बंद हो रही है , वो उसे संभाल लेता है और उसके गालों पर हल्के हाथ से थपकी देते हुए कहता है "जिन उठो क्या हुआ तुम्हे, मैने कहा उठो"
लेकिन जीनी का शरीर अब उसका साथ नहीं दे रहा था, वो बेसुध सी होगई थी, वो खुद को थोड़ा होश में रखते हुए कहती है "अब... म.... मु....मुझे...मुझे जाने दीजिए .... ह... हम.... हम... हमारा....साथ....यहीं तक था"
इतना कह वो उसकी बाहों में झूल जाति है, आर्यन उसे उठाने की कोशिश करते हुए कहता है....."देखो तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती , इस बार मैं तुम्हें माफ नही करूंगा, समझी तुम"
आर्यन की आंखों में आंसू थे, वो बार बार जीनी को उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी, आर्यन गुस्से में उठता है, और रणविजय का कॉलर पकड़ते हुए कहता है "अगर उसे कुछ हुआ तो मैं तुम्हे छोडूंगा नहीं"
तभी करन उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है "मिस्टर खन्ना हमें मिसेज़ खन्ना को हॉस्पिटल लेकर जाना चाहिए"
आर्यन जीनी को गोद में उठा लेता है, और आगे बढ़ जाता है, आर्यन रणविजय को घूरते हुए कहता है "इसे लेकर चलो"
वो वहां से निकल जाता है, जल्दी ही वो लोग हॉस्पिटल पहुंचते हैं, डॉक्टर जीनी को चेक करते हैं , फिर कहते हैं "इन्हे काफी वक्त से ठंडे पानी में रखा गया है, जिसकी वजह से इनके पल्स स्लो काम कर रहें हैं मैने इंजेक्शन दे दिया है, जल्दी ही होश आ जायेगा"
डॉक्टर आर्यन को देखते हुए कहते हैं "आपको भी इलाज की ज़रूरत है, आप मेरे साथ चलिए" आर्यन एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहता है "बहुत दूर रह लिया मैं डॉक्टर इससे ,अब बस करो, जो करना है यहीं करो"
डॉक्टर एक नज़र जीनी को देखते हैं और मुस्कुरा देते हैं, और आर्यन की पट्टियां वही करने लगते हैं, उसकी हालत देख डॉक्टर भी घबरा जाता है
नील बाहर बेंच पर बैठा था, करन भी वहीं आकर बैठ जाता है , और नील से पूछता है "इनकी शादी कब हुई?" नील मुस्कुरा देता है और कहता है "शादी कब हुई ये गलत सवाल है, ये पूछो जीनी कब आर्यन की हुई"
करन आश्चर्य से उसकी तरफ देखता है , नील दरवाजे की तरफ देखते हुए कहता है "वो दुनिया में आई ही, मिस्टर खन्ना के लिए थी, कोई कैसे इतना दर्द बर्दाश्त कर सकता है किसी के लिए, क्या मोहब्बत में दर्द नहीं होता"
करन कुछ देर खामोश रहता है फिर कहता है "ये जानने के लिए मोहब्बत करनी पड़ेगी" दोनो खामोश बैठे थे, रात के 10 बजे के करीब जीनी को होश आता है, उसे बहुत कमज़ोरी हो रही थी, वो धीरे से अपनी आंखे खोलती है, तो देखती है आर्यन उसे ही देख रहा था
जीनी उससे अपनी धीमी आवाज़ में कहती है "आप ठीक हैं?" आर्यन उसकी आवाज़ सुन कर मुस्कुरा देता है, और उसके माथे को चूम लेता है....
जीनी सुकून से अपनी आंखे बंद कर लेती है, आर्यन उससे दूर होता है, और उसे घूरते हुए कहता है "तुम ठीक हो जाओ फिर तुम्हे बताता हूं, बहुत जल्दी है ना मुझसे दूर जाने की"
जीनी बस मुस्कुरा देती है, आर्यन उसके हाथ पर सर रख लेता है, उसकी आंखो से आंसू की एक बूंद जीनी के हाथों पर गिर जाता है, ये एहसास होते ही जीनी उसका सिर ऊपर करते देखती है तो उसकी आंखो में आंसू थे
आर्यन एक दम से उसे उठा कर गले से लगा लेता है, और अपनी बाहों में जकड़ते हुए कहता है "अगली बार तुमने मुझसे दूर जाने की कोशिश की तो मैं तुम्हे जान से मार दूंगा"
दोनो यूंही गले लगे हुए थे, तभी कौशल्या जी अंदर आती हैं उन्हें वहां देख , आर्यन जीनी से अलग हो जाता है, अपनी मां को वहां देख जीनी की आंखों के आंसू थे, कौशल्या जी उसे गले लगा लेती हैं, कर्मवीर जी, श्लोक जी और रंजना जी भी अंदर आती हैं सब जीनी से मिलते हैं, सब खुश थे, श्लोक जी आर्यन के कंधे पर हाथ रखते हुए कहते हैं "आखिर वो तुम्हारी ही हुई, तुमने उसे किसी का नहीं होने दिया"
आर्यन जीनी को देखते हुए कहता है "वो मेरी थी, कैसे कोई और ले जाता"
फिर गुस्से से कहता है "लेकिन जिसने उसे मुझसे दूर करने की कोशिश की है उसे भी तो बताना है की उसने किसे तकलीफ दी है"
एक हफ्ते बाद जीनी, को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाति है, आर्यन भी अब ठीक था, सब घर के लिए निकल जाते हैं, लेकिन आर्यन उन्हे घर नहीं ले जाता , ये एक घर था, खंडर जैसा था , लेकिन अंदर से साफ था
वहां रणधीर और रणविजय को बर्फ की सिली पर बांधा हुआ था, आर्यन जीनी और रंजना जी का हाथ पकड़ता है और उन्हें वहीं सोफे पर बिठा देता है
फिर रणविजय और रणधीर को घूरते हुए कहता है "बहुत शौख है ना आप दोनो को, जिस्म का धंधा करने का , आज मैं आपको बताता हूं की कैसा लगता है,जब हम किसी को उसकी मर्जी के बिना छूते हैं"
तभी वहां करीब 4-5 आदमी आते हैं ,लंबे लंबे हट्टे कट्टे, उन्हे देख आर्यन उन दोनो बाप बेटे की तरफ इशारा करते हुए कहता है, ये दोनो आज रात के लिए तुम लोगो के हवाले
इतना कहते ही वो आदमी , उन दोनो को लेकर पीछे बने कमरे में ले जाते हैं, रणविजय चिल्लाते हुए कहता है "आर्यन तुम हमारे साथ ऐसा नहीं कर सकते,"
आर्यन चीखते हुए कहता है "ये आपको मेरी जान को शर्मिंदा करने से पहले सोचना चाहिए था, साले साहब" वो साले साहब पर ज़ोर देते हुए कहता है....
कमरे से दोनो के चीखने की आवाजें आ रही थी, "आ....ये तुम लोग क्या कर रहे हो...मुझे जाने...आ" श्लोक जी , रंजना जी के कंधे पर हाथ रखते हैं, उनकी आंखों में आंसू थे,
आर्यन श्लोक जी को उन्हें घर ले जाने के लिए कहते हैं, जीनी घबराते हुए आर्यन को देखते हुए कहती है, "ये क्या हो रहा है"
आर्यन एक नज़र बंद दरवाज़े को देखता है, फिर कहता है "घर चलो समझाता हूं"
सब घर आ जाते हैं, रात काफी हो गई थी, खाना खाने के बाद सब अपने कमरों में चले जाते हैं
कर्मवीर जी कौशल्या जी को गले लगाते हुए कहते हैं "आखिर कर सब ठीक होगया" दोनो मुस्कुरा देते हैं, श्लोक जी रंजना जी को गले लगा लेते हैं, रंजना जी की आंखों में आंसू थे, श्लोक जी उन्हें समझाते हैं, "सब ठीक है रंजना, तुम्हारा बदला तुम्हारे बेटे ने ले लिया है"
आर्यन के कमरे में आर्यन जीनी को बाहों में लेकर लेटा था, अचानक से वो उसके ऊपर आ जाता है, और उसकी आंखों में देखते हुए कहता है "तुम पूछ रही थी ना वो लोग उन दोनो के साथ क्या करेंगे"
जीनी हां में सिर हिला देती है, तो आर्यन उसे किस करने लगता है, और जल्दी ही दोनो, एक दूसरे में खो जाते हैं आर्यन उसे जल्दी ही छोड़ देता है, और बाहों में भरते हुए एक तिरछी मुस्कान के साथ कहता है "बस यही कर रहे होंगे, जीनी अपनी सांसे संभालते हुए कहती है , "आज आपने बहुत जल्दी छोड़ दिया"
आर्यन उसपर अपनी पकड़ कसते हुए कहता है "तुम अभी कमज़ोर हो बस इसलिए" दोनो सुकून से सो जाते हैं
अगली सुबह सब उसी जगह पहुंचे थे, उन दोनो बाप बेटों की हालत बहुत खराब थी, रणविजय उसे घूरते हुए कहता है "मैं तुझे छोडूंगा नहीं"
आर्यन एक तिरछी मुस्कान के साथ कहता है "तब तक जिंदा रहोगे तब"
तभी एक आदमी दो कोड़े लेकर आता है, जिसपर कांटे लगे थे, वो एक रंजना जी के हाथों में देते हुए कहता है "ये आपका गुनहगार है,मां इसे मैं आपके हवाले करता हूं"
रंजना जी रणधीर को उस कोड़े से मारने लगती हैं, आर्यन रणविजय पर कोड़े बरसाते हुए कहता है "तू मेरा गुनहगार है, तेरी वजह से आज मैं इस हाल में हूं"
दोनो मां बेटे उन्हे कोड़ों से मार रहे थे, और नमक और मिर्ची पाउडर उनपर डाला जाता, पूरा घर उनकी चीखों से गूंज रहा था, जब दोनो की सांसे रुक जाति हैं, रंजना जी वहीं बैठ कर रोने लगती हैं,
जीनी डरी हुई सी एक कोने में खड़ी थी, तभी उस आदमी को लाया जाता है , जिसने जीनी को हाथ लगाया था, आर्यन उसकी सारी उंगलियां काट देता है, और उसके हाथ भी,
2 महीने बाद
अब सब ठीक था, सब खुश थे आर्यन तैयार होता है, और ऑफिस के लिए निकलने लगता है, तभी जीनी कहती है "आप मुझसे कितना प्यार करते हैं" आर्यन उसे कमर से पकड़ कर अपने करीब कर लेता है, और उसकी आंखों में देखते हुए कहता है "ये बताने के लिए तो, रात का इंतज़ार करना पड़ेगा"
और एक आंख दबा देता है, जीनी अपनी नज़रें झुका लेती है, उसे शर्माता देख आर्यन कहता है "लगता है,कंट्रोल नहीं हो रहा है"
फिर गोद में उठाते हुए कहता है , "कोई बात नहीं चलो" जीनी उसे घूरते हुए कहती है "आपके दिमाग में हमेशा एक ही चीज़ घूमती है ना, मैं ये कह रही थी, की अगर...कोई....हमारे.....बीच"
तभी आर्यन गुस्से में कहता है "मैं उसे जान से मार दूंगा"
जीनी अपना सर पीट लेती है,मतलब ये इंसान कभी सीधा नहीं सोच सकता था, फिर वो धीर से उसके कान में कहती है "अगर वो हमारी मोहब्बत की निशानी हो तो"
उसकी बात सुन अचानक आर्यन को समझ आता है, वो खुशी से चौंकते हुए कहता है, "क्या सच में तुम मां बनने वाली हो" जीनी हां में सिर हिला देती है, आर्यन एक दम से उसे लेकर घूमने लगता है, सब खुश थे,
9 महीने बाद , जीनी एक लड़के को जन्म देती है, जो बिल्कुल आर्यन जैसा था , सब खुश थे, लेकिन आर्यन बस दरवाज़े को देख रहा था, डॉक्टर जैसे ही बाहर आती है , आर्यन पूछता है "वो कैसी है"
डॉक्टर कहती है "ठीक हैं आप मिल सकते हैं" आर्यन कमरे में जाता है, तो जीनी बेहोश थी, उसे जैसे ही होश आता है आर्यन पूछता है "तुम ठीक हो" जीनी हां में सर हिला देती है, अब आर्यन ने अपने बेटे को गोद में लिया, था
उसकी खुशी आर्यन के चहरे पर साफ दिख रही थी........
चलिए भाई आर्यन और जीनी की जिंदगी में तो खुशियां आ गई, लेकिन हमारा सफर बस यहीं तक था, आप सब ने मेरा यहां तक साथ दिया इसके लिए तहे दिल से आपका धन्यवाद मिलते हैं फिर एक नई कहानी के साथ कभी दिल किया तो इसका सेकंड सीजन भी लेकर आऊंगी अलविदा नही कहूंगी जल्दी ही मिलेंगे, और कोन कोन चाहता है की मैं इस कहानी का सैकेंड सीज़न लेकर आऊं कमेंट में जरूर बताइएगा तब तक के लिए बाय बाय
वानी
Babita patel
04-Jul-2023 07:18 PM
Wonderful ending
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अदिति झा
20-Jun-2023 06:05 PM
Nice end
Reply
Madhumita
20-Jun-2023 04:33 PM
आपकी कहानी शुरू से ही इसके अगले भाग को इसके पाठकों के पढ़ने की उत्सुकता को बढ़ाती आई है। कहानी का अंत भी खुशनुमा ढंग से आपने किया है और कहा है कि इसका अगला सीजन भी आप लाएंगी, ये पढ़कर खुशी हुई क्योंकि आर्यन और जीनी की जिंदगी में खुशियों ने तो दस्तक दे दी है लेकिन क्या जीवन सिर्फ खुशियों तक ही सीमित है, नही ना! फिर तो इसके अगले सीजन का इंतजार तो बनता है आदरणीया। उम्मीद है आप जल्द ही हम जैसे पाठकों के लिए इस कहानी को आड़े बढ़ाएंगी 🙏🏻😊
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